SSC Exam 2025: SSC एग्जाम में बायोमेट्रिक फेल, छात्रों की पिटाई! क्या छात्र की आवाज़ दबाई जाएगी?

SSC Exam 2025: ये कैसा सिस्टम है जहां सरकारी नौकरी का सपना देख रहे छात्र न परीक्षा दे पा रहे हैं, न सवाल पूछ पा रहे हैं? SSC (Staff Selection Commission) की परीक्षाओं में भारी लापरवाही सामने आई है—आधे बच्चों का बायोमेट्रिक नहीं हो सका और जब छात्रों ने अपनी आवाज़ उठाई, तो उन्हें मारा-पीटा गया! न कोई अफसर जवाब दे रहा है, न कोई मीडिया कवरेज कर रहा है। क्या छात्रों की आवाज़ अब भी इतनी कमजोर है? आइए, इस अन्याय के खिलाफ मिलकर खड़े हों।

SSC Exam 2025 क्या ये भरोसेमंद संस्था रह गई है?

SSC, जो लाखों छात्रों के लिए सरकारी नौकरी का सपना है, आज सवालों के घेरे में है। जिस संस्था से पारदर्शिता और निष्पक्षता की उम्मीद की जाती है, वही संस्था बायोमेट्रिक जैसे बेसिक प्रोसेस को भी सही से नहीं संभाल पा रही। परीक्षा केंद्रों पर तकनीकी खराबी और प्रबंधन की लापरवाही के कारण छात्रों की मेहनत बर्बाद हो रही है। कई छात्र दूर-दराज से हजारों रुपये खर्च कर परीक्षा देने आते हैं, लेकिन उन्हें मौका ही नहीं मिल पाता। क्या SSC अब सिस्टम से बड़ा घोटाला बनती जा रही है?

बायोमेट्रिक फेल जिम्मेदार कौन है?

बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन परीक्षा की सबसे अहम प्रक्रिया होती है। लेकिन इस बार SSC एग्जाम में *आधे छात्रों का बायोमेट्रिक ही नहीं हो पाया, जिससे उन्हें परीक्षा से वंचित होना पड़ा। सवाल ये है कि जब ये तकनीक जरूरी थी, तो उसकी जांच क्यों नहीं की गई? तकनीकी टीम कहां थी? सेंटर सुपरवाइजर क्यों चुप थे? और सबसे बड़ा सवाल क्या इन छात्रों को फिर से मौका दिया जाएगा? ऐसे मामलों में लापरवाह अफसरों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।

छात्रों की पिटाई क्या ये लोकतंत्र है या दबावतंत्र?

शिकायत करना हर नागरिक का अधिकार है। लेकिन जब छात्र सेंटर पर अपनी समस्या की शिकायत करने गए, तो उन्हें पीटा गया, डराया गया और चुप करा दिया गया। क्या यही लोकतंत्र है जहां आवाज उठाने पर सजा मिलती है? छात्र कोई अपराधी नहीं हैं, वे अपने हक़ की मांग कर रहे थे। उन्हें पीटना सिर्फ गलत नहीं, बल्कि अमानवीय और लोकतंत्र के खिलाफ है। ये मामला अब सिर्फ परीक्षा का नहीं, बल्कि मानवाधिकार और न्याय का है।

मीडिया की चुप्पी क्यों नहीं उठ रही छात्रों की आवाज़?

जब बॉलिवुड के विवाद, क्रिकेट की हार और सेलिब्रिटी के कपड़े ब्रेकिंग न्यूज बन सकते हैं, तो हजारों छात्रों की मेहनत की बर्बादी क्यों नहीं? इस पूरे घटनाक्रम में राष्ट्रीय मीडिया लगभग चुप है। सोशल मीडिया पर कुछ वायरल पोस्ट तो दिखीं, लेकिन मुख्यधारा की मीडिया ने इस मुद्दे को नजरअंदाज किया। ये चुप्पी कहीं न कहीं सिस्टम के पक्ष में है और छात्रों के खिलाफ। मीडिया को छात्रों के दर्द और अन्याय को आवाज़ देनी चाहिए, न कि चुप बैठना चाहिए।

SSC चेयरमैन कहाँ हैं? जवाब चाहिए, बहाना नहीं!

हर संगठन का नेतृत्व उसकी जिम्मेदारी तय करता है। लेकिन जब छात्र परेशान हैं, पिट रहे हैं, और परीक्षा से वंचित हो रहे हैं – तब SSC के चेयरमैन गायब क्यों हैं? ना कोई प्रेस बयान, ना जांच की घोषणा, ना दोबारा परीक्षा की बात। क्या ये जिम्मेदार नेतृत्व है? हम सबका सवाल है – कब जवाब देंगे SSC चेयरमैन? छात्रों को सिर्फ परीक्षा की तारीख नहीं चाहिए, उन्हें पारदर्शिता, सुरक्षा और न्याय चाहिए।

छात्र एक हों ये समय चुप बैठने का नहीं!

ये लड़ाई सिर्फ उन छात्रों की नहीं है जिनका बायोमेट्रिक नहीं हुआ – ये हर छात्र की है जो मेहनत करता है, सपने देखता है और सिस्टम पर भरोसा करता है। अगर आज हम चुप रह गए, तो कल ये अन्याय और बढ़ेगा। सोशल मीडिया, जनहित याचिका, RTI – जो भी हो सके, आवाज उठाइए। संगठित रहिए, शांतिपूर्ण तरीकों से विरोध दर्ज कराइए। SSC को जवाब देना होगा – और जवाब हम मांगेंगे, मिलकर, मजबूती से।

निष्कर्ष छात्र सिर्फ रोल नंबर नहीं, देश का भविष्य हैं!

सरकारी संस्थाएं परीक्षा के नाम पर केवल सिस्टम नहीं चला रहीं, वे देश का भविष्य तय कर रही हैं। अगर एक छात्र को अन्याय की वजह से अवसर नहीं मिला, तो वो सिर्फ उसकी नहीं, पूरे देश की हार है। SSC को समझना होगा कि वह केवल परीक्षा नहीं, भरोसे का केंद्र है। इस व्यवस्था में पारदर्शिता और संवेदनशीलता लाना जरूरी है। छात्रों को डराया नहीं, सम्मान दिया जाना चाहिए। वरना एक दिन यही छात्र अपने दम पर क्रांति ले आएंगे – और तब कोई कुर्सी नहीं बचेगी!

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