ED Raids Reliance Group: अनिल अंबानी पर ED का शिकंजा 3000 करोड़ लोन घोटाले में छापेमारी से मचा हड़कंप

ED raids Reliance Group: नमस्कार!दोस्तों देश की आर्थिक दुनिया में एक बार फिर भूचाल आया है। इस बार मामला जुड़ा है अनिल अंबानी से, जिनकी कंपनियों पर ED ने 3000 करोड़ रुपये के लोन घोटाले में शिकंजा कस दिया है।

दिल्ली और मुंबई में 35 से ज्यादा ठिकानों पर छापेमारी हुई है, जिससे बाजार में हड़कंप मच गया है। निवेशक सहमे हुए हैं और जांच की आंच अब तेजी से आगे बढ़ रही है। ऐसे में जानना जरूरी है कि आखिर इस घोटाले की तह तक आवाजाही क्यों पड़ने लगी है।

35 से ज्यादा ठिकानों पर ED का छापा, 50 कंपनियां जांच के घेरे में

प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने अनिल अंबानी के रिलायंस ग्रुप से जुड़ी करीब 50 कंपनियों पर शिकंजा कसते हुए दिल्ली और मुंबई में 35 से अधिक ठिकानों पर छापेमारी की। यह छापेमारी यस बैंक से लिए गए 3000 करोड़ रुपये के लोन घोटाले के सिलसिले में हुई है।

जानकारी के मुताबिक, ये कार्रवाई CBI की दो एफआईआर, सेबी, नेशनल हाउसिंग बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा से मिली सूचनाओं के आधार पर की गई है। ED का फोकस इस बात पर रहा कि आखिर ये लोन किस तरह से प्राप्त किए गए और किस तरह से इनका दुरुपयोग हुआ।

शेयरों में गिरावट, निवेशकों में मचा हड़कंप

जैसे ही ED की छापेमारी की खबर सामने आई, अनिल अंबानी की दो बड़ी कंपनियों रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर और रिलायंस पावर के शेयरों में भारी गिरावट देखने को मिली। बाजार में इन कंपनियों के शेयर 5% तक टूट गए, जिससे निवेशकों में घबराहट फैल गई।

स्टॉक मार्केट में इस खबर का सीधा असर देखने को मिला और कई निवेशकों ने अपने शेयर बेचने शुरू कर दिए। यह गिरावट केवल आर्थिक नहीं, बल्कि रिलायंस ग्रुप की साख के लिए भी एक झटका साबित हो रही है।

लोन की रकम फर्जी कंपनियों में डायवर्ट करने का आरोप

ED की जांच में खुलासा हुआ है कि रिलायंस ग्रुप की कई कंपनियों ने बैंक से मिले लोन की रकम को फर्जी कंपनियों और ग्रुप की अन्य यूनिट्स में ट्रांसफर कर दिया। इस प्रक्रिया को अंजाम देने के लिए बैंकों, निवेशकों और शेयरहोल्डर्स को गलत जानकारी दी गई।

यह कार्रवाई मनी लॉन्ड्रिंग की गंभीर श्रेणी में आती है, जिसमें कर्ज की रकम को वास्तविक कारोबार में लगाने की बजाय, खुद की अन्य कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए उपयोग किया गया।

जांच में सामने आईं ये गड़बड़ियां

ED की शुरुआती जांच में कई बड़ी अनियमितताएं सामने आई हैं। कमजोर या बिना वेरिफिकेशन वाली कंपनियों को लोन दिया गया। कई कंपनियों के पास एक ही डायरेक्टर और एड्रेस पाए गए, जो फर्जीवाड़े की ओर इशारा करता है।

कुछ कंपनियों के पास लोन से जुड़े जरूरी दस्तावेज तक मौजूद नहीं थे। सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि लोन की रकम का इस्तेमाल पुराने कर्ज चुकाने में किया गया, जिसे ‘लोन एवरग्रीनिंग’ कहा जाता है—यह प्रक्रिया पूरी तरह अवैध मानी जाती है।

क्या आगे और बढ़ेगी कार्रवाई?

फिलहाल ED की जांच जारी है और इस मामले में कई और कंपनियों और व्यक्तियों के नाम सामने आ सकते हैं। अगर सबूत और मजबूत होते हैं, तो आने वाले दिनों में गिरफ्तारी, संपत्ति जब्ती और कोर्ट केस जैसी गंभीर कानूनी कार्रवाइयां भी हो सकती हैं।

अनिल अंबानी के लिए यह संकट का समय है क्योंकि उनका नाम पहले भी वित्तीय मामलों में विवादों में आ चुका है। यह मामला देश की बड़ी आर्थिक धोखाधड़ी में से एक बन सकता है, जिस पर सबकी निगाहें टिकी हैं।

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